Share

cover art for एनएल चर्चा 100: जेपी नड्डा, सीएए, दिल्ली विधानसभा चुनाव और अन्य

NL Charcha

एनएल चर्चा 100: जेपी नड्डा, सीएए, दिल्ली विधानसभा चुनाव और अन्य

न्यूज़लॉन्ड्री चर्चा पॉडकास्ट का यह 100 वां संस्करण है. चर्चा को प्यार देने के लिए सभी श्रोताओं को शुक्रिया. न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करें और गर्व से कहें- ‘मेरे खर्च पर आज़ाद हैं ख़बरें.’ चर्चा के 100 वें संस्करण में वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ख़ास मेहमान रहे. इसके अलावा इस हफ़्ते की चर्चा में हिंदी साहित्यकार वंदना राग और न्यूज़लॉन्ड्री के मेघनाद शामिल रहे. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया. न्यूज़लॉन्ड्री चर्चा के इस 100 वें संस्करण में बीजेपी के नए अध्यक्ष जेपी नड्डा की ताजपोशी और उनके आने के बाद पार्टी में आने वाले संभावित बदलावों, दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन के दौरान अरविन्द केजरीवाल को हुई परेशानी, दिल्ली पुलिस को दिल्ली के गवर्नर द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत दिया गया गिरफ्तारी का विशेषाधिकार, बीजेपी की लखनऊ में हुई रैली में अमित शाह का सीएए की वापसी के संबंध में बरकरार अड़ियल रवैया, जेएनयू के सर्वर रूम में मारपीट के संबंध में आरटीआई के तहत मिली चौंकाने वाली जानकारी और निर्भया मामले में वकील इंदिरा जयसिंह के बयान पर मचे बवाल आदि पर चर्चा हुई.

More episodes

View all episodes

  • एनएल चर्चा 311: अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी, सोनम वांगचुक का अनशन और आम चुनाव

    01:41:30
    इस हफ्ते चर्चा के प्रमुख विषय लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर पर्यावरणविद सोनम वांगचुक का आमरण अनशन और आबकारी नीति मामले में गुरुवार रात ईडी द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करना आदि रहे.इस हफ्ते चर्चा में न्यूज़क्लिक से वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह और वरिष्ठ पत्रकार राजेश जोशी शामिल हुए. इसके अलावा न्यूज़लॉन्ड्री टीम से शार्दूल कात्यायन और विकास जांगड़ा ने हिस्सा लिया. वहीं, चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के प्रबंध संपादक अतुल चौरसिया ने किय. अतुल सवाल करते हैं, “ क्या ये सब आनन-फानन में सिर्फ इसलिए किया गया ताकि हैडलाइन मैनेज किया जा सके और सरकार के खिलाफ जितनी भी ख़बरें हैं, जो उसकी छवि को खराब करती हैं, उससे लोगों का का ध्यान बंट जाए?”इसके जवाब में राजेश जोशी कहते हैं, “हेडलाइन मैनेजमेंट कहें या मीडिया मैनेजमें, इसमें मोदी सरकार को महारत हासिल है. हालांकि, हर सरकार ऐसा करना चाहती है."सुनिए पूरी चर्चा-टाइम कोड्स00- 03:36 - इंट्रो और जरूरी सूचना03:37 - 23:09 - पर्यावरणविद सोनम वांगचुक का आमरण अनशन23:10 - 33:01 - सुर्खियां33:02 - 1:24:00 - ईडी द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी1:24:01 - 1:30:36 - सब्सक्राइबर्स के मेल1:30:37 - 1:41:30 - सलाह और सुझावपत्रकारों की राय क्या देखा, पढ़ा और सुना जाएशार्दूल कात्यायनन्यूज़लॉन्ड्री पर श्वेता देसाई कीरिपोर्टटीवी सीरीज- द सिनरहरिशंकर परसाई का व्यंग्य  विकास जांगड़नेटफ्लिक्स पर सीरीज- हाउस ऑफ कार्ड्सराजेश जोशीद रिपोर्टर्स कलेक्टिव की रिपोर्ट और इलेक्टोरल बॉन्ड पर सीरीजभाषा सिंहमोहम्मद आमिर खान की किताब- आतंकवादी का फ़र्ज़ी ठप्पसुधा भारद्वाज की किताब- फ्रॉम फांसी यार्डडॉक्यूमेंट्री- डेजा वू अतुल चौरसिया न्यूज़लॉन्ड्री पर इलेक्टोरल बॉन्ड कीसीरीजनेटफ्लिक्स पर सीरीज- करी एन्ड साइनाइड: द जॉली जोसफ केसट्रांसक्रिप्शन: सत्येंद्र कुमार चौधुरीप्रोड्यूसर: आशीष आनंदएडिटिंग: उमराव सिंह
  • एनएल चर्चा 310: हरियाणा में मुख्यमंत्री परिवर्तन और इलेक्टोरल बॉन्ड का डाटा सार्वजनिक

    01:18:32
    इस हफ्ते चर्चा के प्रमुख विषय हरियाणा में नायब सिंह सैनी बने नए मुख्यमंत्री, चुनाव आयोग ने सार्वजनिक किया इलेक्टोरल बॉन्ड का डाटा और पूर्व आईएएस ज्ञानेश कुमार और सुखबीर संधू बने नए चुनाव आयुक्त आदि रहे.इसके अलावा केंद्र सरकार ने द्वारा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू करने की घोषणा, एक देश-एक चुनाव पर विचार के लिए बनाई गई पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपना और सरकार द्वारा यूएपीए के तहत जम्मू-कश्मीर नेशनल फ्रंट पर पांच वर्ष का प्रतिबंध लगाना आदि ख़बरें भी हफ्तेभर की सुर्खियों में शामिल रहीं.इस हफ्ते चर्चा में बीबीसी की डिजिटल वीडियो संपादक सर्वप्रिया सांगवान शामिल हुईं. इसके अलावा न्यूज़लॉन्ड्री टीम से रमन किरपाल, स्तंभकार आनंद वर्धन और हृदयेश जोशी ने हिस्सा लिया. वहीं, चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के प्रबंध संपादक अतुल चौरसिया ने किया.चर्चा के प्रमुख विषय चुनाव आयोग द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड का डाटा अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक किए जाने और न्यूज़लॉन्ड्री के भी इसपर रिपोर्ट किए जाने को लेकर अतुल सवाल करते हैं, “अभी जो भी जानकारी सामने आई है उसमें क्या महत्वपूर्ण चीजें आपको दिखीं?”इसके जवाब में रमन किरपाल कहते हैं, “बीजेपी की सरकार चुनावी चंदे के लिए एक ऐसी योजना लेकर आई जिसमें पारदर्शिता बिल्कुल नहीं थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब चंदे का डाटा सार्वजनिक हुआ है. आयोग द्वारा जारी किए गए डाटा में हम इस चीज के संकेत खोजने की कोशिश कर रहे हैं कि ईडी और आईटी के छापे के बाद किन कंपनियों ने दान देना शुरू किया. इस डाटा में बड़ी-बड़ी फार्मा, इंफ्रा और माइनिंग कंपनियां हैं. जो सरकार के साथ सौदा करती हैं और उन्हें कई प्रोजेक्ट्स मिलते हैं.”सुनिए पूरी चर्चा-टाइम कोड्स00 - 5:29 - इंट्रो और जरूरी सूचना05:30 - 19:40 - नायब सिंह सैनी बने हरियाणा के नए मुख्यमंत्री19:41 - 24:28 - सुर्खियां24:29 - 1:12:13 - चुनाव आयोग ने सार्वजनिक किया इलेक्टोरल बॉन्ड का डाटा और नए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति1:12:14 - 1:18:32 - सलाह और सुझावपत्रकारों की राय क्या देखा, पढ़ा और सुना जाएहृदयेश जोशीइंडियन एक्सप्रेस में फिल्म ‘आलम आरा’ पर संपदा शर्मा का लेख आनंद वर्धनकिताब- द ऑक्सफोर्ड कम्पैनियन टू पॉलिटिक्स इन इंडियासर्वप्रिया सांगवाननेटफ्लिक्स पर डॉक्यूमेंट्री- द मिनिमलिस्ट्स रमन किरपालन्यूज़लॉन्ड्री पर इलेक्टोरल बॉन्ड और राजनीतिक फंडिंग से जुड़रिपोर्ट्सनेटफ्लिक्स पर डॉक्यूमेंट्री- टू किल ए टाइगरअतुल चौरसिया न्यूज़लॉन्ड्री पर इलेक्टोरल बॉन्ड और राजनीतिक फंडिंग से जुड़ी सीरनेटफ्लिक्स पर डॉक्यूमेंट्री- स्पाई ऑप्सट्रांसक्रिप्शन: सत्येंद्र कुमार चौधुरीप्रोड्यूसर: आशीष आनंदएडिटिंग: उमराव सिंह
  • एनएल चर्चा 309: स्पेनिश महिला से गैंगरेप और इलेक्टोरल बॉण्ड पर एसबीआई की टालमटोल’

    01:19:38
    इस हफ्ते चर्चा के प्रमुख विषय झारखंड के दुमका जिले में स्पेनिश महिला के साथ मारपीट एवं सामूहिक दुष्कर्म और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी निर्वाचन आयोग को सौंपने के लिए 30 जून तक का समय देने की मांग करना आदि रहे.इसके अलावा ओडिशा में सत्ताधारी बीजू जनता दल फिर से होगा एनडीए में शामिल, माओवाद से संबंध मामले में सजा काट रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा नागपुर जेल से बरी, बीजेपी व कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव से जुड़ी उम्मीदवारों की पहली सूची की जारी, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परिवार को लेकर साधा निशाना और दिल्ली सरकार ने अपना बजट जारी करते हुए 18 वर्ष से अधिक महिलाओं को एक हजार रुपए प्रति माह की आर्थिक सहायता देने का किया ऐलान आदि ख़बरें भी हफ्तेभर की सुर्खियों में शामिल रहीं.इस हफ्ते चर्चा में वरिष्ठ पत्रकार एवं द रिपोर्टर्स कलेक्टिव के सदस्य नितिन सेठी एवं तपस्या के अलावा स्वतंत्र पत्रकार रवि प्रकाश शामिल हुए. वहीं, चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के प्रबंध संपादक अतुल चौरसिया ने किया.चर्चा के प्रमुख विषय झारखंड के दुमका जिले में स्पेनिश महिला के साथ मारपीट व सामूहिक दुष्कर्म की घटना को लेकर अतुल सवाल करते हैं, “इस घटनाक्रम को लेकर अभी क्या स्थिति है और पुलिस की भूमिका कितनी साफ सुथरी और नियम कानूनों के तहत देखने को मिली?”इसके जवाब में रवि प्रकाश कहते हैं, “दुमका का यह मामला एक दुर्भाग्य की बात है कि कोई बाहर से घूमने आए और उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म जैसी वारदात हो जाए. हालांकि, इस घटना के दो दिन बाद ही पुलिस ने इससे जुड़े आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया. इस बीच एक साहस की बात यह है कि इतना कुछ होने के बाद भी स्पेनिश जोड़े ने अपना विश्व का दौरा रोका नहीं है और अब वो बिहार के रास्ते नेपाल जा चुके हैं. वहीं, गिरफ्तार किए गए लोगों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है. झारखंड पुलिस भी जल्दी कार्रवाई इसलिए कर पाई क्योंकि इन (पति-पत्नी) के हेलमेट में लगे ब्लॉगिंग कैमरे में उन लोगों (आरोपियों) की तस्वीर घटना के दौरान कैद हो गई थी.”सुनिए पूरी चर्चा-टाइम कोड्स00 - 04:59 - इंट्रो और जरूरी सूचना05:00 - 18:39 - सुर्खियां18:40 - 47:06 - झारखंड के दुमका जिले में स्पेनिश महिला के साथ मारपीट व सामूहिक दुष्कर्म47:07 - 1:08:49 - इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी साझा करने के लिए एसबीआई ने मांगा जून तक का वक्त 1:08:50 - 1:15:44 - सब्सक्राइबर्स के मेल1:15:45 - 1:19:38 - सलाह और सुझावपत्रकारों की राय क्या देखा, पढ़ा और सुना जाएरवि प्रकाशझारखंड मामले पर बीबीसी की रिपोर्टनितिन सेठीहरुकी मुराकामी की किताब- मेन विदाउट वुमन  तपस्यानेटफ्लिक्स पर सीरीज- ब्लू आई समुराईएमा की कॉमिक- यू शुड हेव आस्कड अतुल चौरसिया बीबीसी पर शो- कंक ऑन अर्थट्रांसक्रिप्शन: सत्येंद्र कुमार चौधुरीप्रोड्यूसर: आशीष आनंदएडिटिंग: उमराव सिंह
  • एनएल चर्चा 308: बेरोजगारी, पेपर लीक और राज्यसभा का चुनावी गणित

    01:27:45
    इस हफ्ते चर्चा के प्रमुख विषय देश के तीन राज्यों में हुए राज्यसभा चुनाव और बेरोजगारों पर भारी पेपर लीक का मामला रहे. इस हफ्ते देश के तीन राज्यों में राज्यसभा की 15 सीटों के लिए चुनाव हुए, इनमें से 10 सीटें भाजपा को जीतने में सफलता मिली. वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पेपर लीक के बाद 17-18 फरवरी को हुई पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा को रद्द करना आदि मुद्दों ने भी सुर्खियां बटोरी. इस हफ्ते चर्चा में न्यूज़लॉन्ड्री की मैनेजिंग एडिटर मनीषा पांडे, स्तंभकार आनंद वर्धन और पर्यावरण विशेषज्ञ हृदयेश जोशी ने भाग लिया. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के पॉडकास्ट प्रमुख शार्दूल कात्यायन ने किया. नोट: इस हफ्ते चर्चा पेवॉल के पीछे नहीं है. अपने फेवरेट पॉडकास्ट प्लेटफॉर्म से चर्चा सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें.चर्चा के प्रमुख विषय बेरोजगारी और पेपर लीक को लेकर शार्दूल कात्यायन सवाल करते हैं, “बेरोजगारी की समस्या दिन पर दिन बड़ी होती जा रही है. ऐसे में युवाओं के सामने क्या उपाय हैं?”इसका जवाब देते हुए आनंद वर्धन कहते हैं, “बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है. हालांकि, उसके कारण वो नहीं है, जो मीडिया में गिनाए जाते हैं. उसका स्वरूप काफी अलग है. सरकारी नौकरी में पेपर लीक और नकल होना दो अलग-अलग बातें है. सुनिए पूरी चर्चा-टाइम कोड्स00 - 3:36- इंट्रो और जरूरी सूचना  03:37 - 18:20 - सुर्खियां और उन पर टिप्पणी 18:21 - 45:26 - बेरोजगारी और पेपर लीक पर चर्चा  45:27 - 1:03:21 - रामदेव को सुप्रीम कोर्ट की फटकार   1:03:22 - 1:06:42 - पत्र और उनके जवाब1:06:43 - 1:20:14 - राज्यसभा चुनाव का कठिन गणित 1:20:15- 1:27:45 सलाह और सुझावपत्रकारों की राय क्या देखा, पढ़ा और सुना जाएहृदयेश जोशीस्वाति नारायण की किताब- अनइक्वल आनंद वर्धनपेपर लीक पर इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्टटाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट मनीषा पांडे यूपी में पेपर लीक पर स्क्रॉल की रिपोर्टशार्दूल कात्यायन कोरोनिल पर बसंत कुमार की रिपोर्ट लेट्स टॉक अबाउट का नया एपिसोड: इज़रायल और फिलिस्तीन बर्लिन के पर्यावरण पर डीडब्ल्यू की रिपोर्ट ट्रांसक्रिप्शन: विकास जांगड़ाप्रोड्यूसर: आशीष आनंदएडिटिंग: उमराव सिंह
  • एनएल चर्चा 307: संदेशखाली की राजनीति, शेख शाहजहां का इतिहास और ‘चंदा वसूली’ का खेल

    01:18:10
    इस हफ्ते चर्चा के प्रमुख विषय संदेशखाली में बढ़ती राजनीतिक सरगर्मी बढ़ी और बाहुबली नेता शाहजहां शेख पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोप रहे. चुनावी चंदे और केंद्रीय एजेंसियों के छापों पर न्यूज़लॉन्ड्री और द न्यूज़ मिनट की एक्सक्लूसिव इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट को लेकर भी चर्चा हुई.इस हफ्ते चर्चा में अंतरराष्ट्रीय मामलों की जानकार स्मिता शर्मा और स्वतंत्र पत्रकार निलाद्री सरकार शामिल हुए. इसके अलावा न्यूज़लॉन्ड्री टीम से प्रतीक गोयल और विकास जांगड़ा ने चर्चा में हिस्सा लिया. वहीं, चर्चा का संचालन शार्दूल कात्यायन ने किया.सुनिए पूरी चर्चा-टाइम कोड्स00 - 02:42 - इंट्रो और जरूरी सूचना02:43 - 15:14 - सुर्खियां15:15 - 52:14 - संदेशखाली और बाहुबली नेता शाहजहां शेख का इतिहास52:15 - 1:09:38 - चुनावी फंडिंग पर न्यूज़लॉन्ड्री और द न्यूज़ मिनट की एक्सक्लूसिव इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट 1:09:39 - 1:18:10 - सलाह और सुझावपत्रकारों की राय क्या देखा, पढ़ा और सुना जाएनिलाद्री सरकारप्रोफेसर द्वैपायन भट्टाचार्य का लेख  स्मिता शर्मा फॉरेन अफेयर्स पर रामचंद्र गुहा का लेखआर्टिकल 14 पर कमांडर बत्रा का इंटरव्यूनेटफ्लिक्स पर सीरीज- मेमोरीज ऑफ द अलहम्ब्रा प्रतीक गोयलनेटफ्लिक्स पर सीरीज- हाउस ऑफ निंजासविकास जांगड़ानेटफ्लिक्स पर सीरीज- लव, डेथ एंड रोबोट्स न्यूज़लॉन्ड्री की एक्सक्लूसिव इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट-पहला भाग, दूसरा भाग, तीसरा भागशार्दूल कात्यायनन्यूज़लॉन्ड्री पर बसंत कुमा की किसान आंदोलन पर रिपोर्ट्स देखेंद गार्जियन पर फ्रेड हार्टर की रिपोर्टफिल्म- लॉस्ट इन ट्रांसलेशनप्रोड्यूसर: आशीष आनंदट्रांसक्रिप्शन: सत्येंद्र कुमार चौधुरी एडिटिंग: उमराव सिंह
  • एनएल चर्चा 306: इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट की रोक और किसान आंदोलन 2.0

    01:40:16
    इस हफ्ते चर्चा के प्रमुख विषय सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक करार देकर रद्द करना और एमएसपी की कानूनी गारंटी समेत कई मांगो को लेकर किसानों के दिल्ली कूच का ऐलान आदि रहे. चर्चा में एडीआर के सह-संस्थापक एवं पूर्व प्रोफेसर जगदीप छोकर शामिल हुए. इसके अलावा न्यूज़लॉन्ड्री टीम से अभिनंदन सेखरी, शार्दूल कात्यायन और हृदयेश जोशी ने चर्चा में हिस्सा लिया. वहीं, चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के प्रबंध संपादक अतुल चौरसिया ने किया.चर्चा के प्रमुख विषय सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक करार देने को लेकर अतुल सवाल करते हैं, “चुनाव सुधार का एक बहुत बड़ा मुद्दा है, जो लंबे समय से अटका है, साथ में इस इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए पिछले पांच सालों में जो नुकसान हुआ है क्या उनकी कोई जवाबदेही तय होने का रास्ता इस फैसले में है?”इसके जवाब में जगदीप छोकर कहते हैं, “इस फैसले से जो बदमाशी 2017 में शुरू की गई थी, वो खत्म हो गई है. इसमें सबसे बड़ी खराबी ये थी कि सत्तारूढ़ दल को दूसरे दलों का चंदा बंद करवाने का अच्छा तरीका मिल गया था. दूसरी खराबी ये थी कि जनता को जो सूचना मिलती है, उसको बंद करवा दिया, तो सूचना के अधिकार का भी इसमें उल्लंघन था. फिलहाल, फैसले के बाद ये दोनों खामियां हटा दी गई हैं. क्योंकि इलेक्टोरल बॉन्ड ऐसे ही चलते रहते तो देश में एक ही पार्टी का राज रह जाता. ये लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा था. मुझे ये शांति है कि फिलहाल वो खतरा टल गया है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हमारा लोकतंत्र बड़ा अच्छा हो गया हैसुनिए पूरी चर्चा-टाइम कोड्स00 - 05:03 - इंट्रो और जरूरी सूचना05:04 - 23:52 - सुर्खियां23:53 - 1:11:40 - सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक करार देकर रद्द किए जाने का फैसला 1:11:41 - 1:25:18 - किसान आंदोलन, एमएसपी समेत उनकी अन्य मांगें, सरकार के साथ बैठक, पिछले आंदोलन के दौरान उन पर दर्ज एफआईआर वापस न लेना1:25:19 - 1:27:03 - सब्सक्राइबर्स के मेल1:27:04 - 1:40:16 - सलाह और सुझावपत्रकारों की राय क्या देखा, पढ़ा और सुना जाएहृदयेश जोशीएडीआर की वेबसाइटइलेक्टोरल बॉन्ड पर नितिन सेठी की रिपोर्ट सीरीजपॉल आर. ब्रास की किताब- एन इंडियन पॉलिटिकल लाइफ: चरण सिंह एंड कांग्रेस पॉलिटिक्स शार्दूल कात्यायनन्यूज़लॉन्ड्री पर जगदीप छोकर कालेखजॉन स्टीवर्ट की पॉलिटिकल कमेंट्री- द डेली शोसाहिर लुधियानवी की किताब- तल्खियां अभिनंदन सेखरीदंगल फिल्म का शीर्षक गीत जगदीप छोकरसलाह- देश के बारे में सोचेंं.अतुल चौरसियानमित अरोरा की किताब- इंडियन्स इलेक्टोरल बॉन्ड पर नितिन सेठी की रिपोर्ट सीरीजट्रांसक्रिप्शन: सत्येंद्र कुमार चौधुरी प्रोड्यूसर: आशीष आनंदएडिटिंग: प्रशांत कुमार
  • एनएल चर्चा 290: द लेजेंड बिशन सिंह बेदी और 'रथ प्रभार' के मायने

    01:33:36
    इस हफ्ते चर्चा के प्रमुख विषय केंद्र सरकार द्वारा अपनी योजनाओं और उपलब्धियों के प्रचार हेतु लिया गया सरकारी अधिकारियों को रथ प्रभारी बनाने का फैसला और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी का निधन आदि रहे.  हफ्ते की अन्य सुर्खियों में पेपर लीक मामले में राजस्थान के कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा के घर पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा छापेमारी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे बैभव गहलोत को ईडी द्वारा तलब करना, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा महाराष्ट्र में 7500 करोड़ रुपये की विकास योजनाओं का शिलान्यास किया और चुनाव आयोग द्वारा अभिनेता राजकुमार राव को अपना नेशनल आइकन बनाने की घोषणा आदि शामिल रहीं.इसके अलावा उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग का फैसला- मुज़फ्फरनगर में अवैध मदरसों को बंद करें या दस हजार रुपये प्रतिदिन जुमार्ना भरें, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का सरकारी अधिकारियों को रथ प्रभारी बनाने के फैसले पर आपत्ति जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखना आदि मुद्दे भी हफ्तेभर तक सुर्खियों में बने रहे. नागपुर में विजयादशमी संबोधन के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख का बयान- सांस्कृतिक मार्क्सवादी कर रहे हैं देश का माहौल ख़राब और बिहार की तर्ज पर महाराष्ट्र में भी जातिगत जनगणना की मांग आदि मुद्दों ने भी हफ्तेभर तक सुर्खियां बटोरी.           इस हफ्ते चर्चा में वरिष्ठ खेल पत्रक चंद्रशेखर लूथरा, अंतरराष्ट्रीय मामलों की जानकार स्मिता शर्मा, एडीआर के सह संस्थापक एवं पूर्व प्रोफेसर जगदीप छोकर और वरिष्ठ पत्रकार संगीता बरुआ शामिल हुईं. इसके अलावा न्यूज़लॉन्ड्री टीम से विकास जांगड़ा ने चर्चा में हिस्सा लिया. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के प्रबंध संपादक अतुल चौरसिया ने किया.चर्चा के प्रमुख विषय केंद्र सरकार द्वारा सरकारी अधिकारियों को रथ प्रभारी बनाने के फैसले को लेकर अतुल मेहमानों से सवाल करते हैं, “मैं ये जानना चाह रहा था कि क्यों ये एक अप्रत्याशित फै है और ऐसा करना सही नहीं है? साथ ही इस फैसले के दूरगामी दुष्परिणाम या सुपरिणाम क्या हो सकते हैं?”इसके जवाब में जगदीप छोकर कहते हैं, “प्रशासनिक कार्यकारी को राजनीतिक तौर पर स्वतंत्र और निष्पक्ष होना चाहिए. लेकिन सरकार का ये फैसला प्रशासनिक अधिकारियों को राजनीति में लाने का तरीका है, जिससे कि एक (पार्टी विशेष के प्रति) ‘प्रतिबद्ध नौकरशाह समूह’ का निर्माण हो सके. ये बात इंदिरा गांधी के वक्त में भी हुई थी लेकिन इतनी खुल्लम-खुल्ला नहीं हुई थी. बल्कि अगर हम याद करें तो इंदिरा गांधी का चुनाव ही इस वजह से रद्द किया गया था क्योंकि उन्होंने चुनाव में कुछ अधिकारियों की मदद ली.” छोकर आगे कहते हैं कि नौकरशाही का काम योजनाओं का क्रियान्वन है ना कि उनका प्रचार करना है. प्रचार के लिए सरकार के पास अलग से विभाग हैं, जैसे कि डीएवीपी है, प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो है और भी कई संस्थाएं हैं. लेकिन यहां तो प्रशासन को कहा जा रहा है कि काम मत करो बल्कि सरकार के लिए प्रचार करो.                                    टाइम्स कोड्स00 - 4:20 - इंट्रो और जरूरी सूचना4:20 - 51:28 - सरकारी अधिकारियों को रथ प्रभारी बनाने का केंद्र का फैसला51:28 - 55:10 - सुर्खियां55:15 - 1:05:42 - सब्सक्राइबर्स के मेल1:05:42 - 1:26:05 - भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी का निधन1:26:05 - सलाह और सुझावट्रांसक्राइब: तस्नीम फातिमा/सत्येंद्र चौधुरीप्रोड्यूसर: चंचल गुप्ताएडिटर: उमराव सिंह
  • एनएल चर्चा 289: समलैंगिक विवाह से सुप्रीम कोर्ट का इनकार और निठारी हत्याकांड के दोषियों की रिहाई

    01:11:47
    इस हफ्ते चर्चा के प्रमुख विषय समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा निठारी हत्याकांड में दोषी ठहराए गए सुरेंद्र कोली एवं महेंद्र सिंह पंढेर की रिहाई का आदेश और तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर सदन में सवाल पूछने के आरोप और इज़रायल-हमास के बीच जारी खूनी संघर्ष आदि रहे. हफ्ते की अन्य सुर्खियों में गाजा के एक अस्पताल पर हवाई हमले में 500 से ज्यादा लोगों की मौत, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तेज किए उद्योगपति गौतम अडाणी पर हमले, इंडिया गठबंधन में अभी तक सीटों के बंटवारे को लेकर नहीं बनी बात और न्यूज़क्लिक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से नोटिस जारी कर मांगा जवाब आदि शामिल रहे. इसके अलावा टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या मामले में दिल्ली की साकेत अदालत ने पांच लोगों को ठहराया दोषी, ईडी एवं सीबीआई ने आबकारी नीति मामले में कहा- पूरी आम आदमी पार्टी को भी बनाया जा सकता है आरोपी और इंडियन-अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल एवं हिंदूज फॉर ह्यूमन राइट्स के ट्विटर अकाउंट को भारत सरकार ने किया निलंबित करने का एलान आदि मुद्दों ने भी हफ्तेभर तक सुर्खियां बटोरी.  इस हफ्ते चर्चा में लैंगिक मामलों की जानकार संध्या ने हिस्सा लिया. इसके अलावा न्यूज़लॉन्ड्री टीम से हृदयेश जोशी, स्तंभकार आनंद वर्धन और मनीषा पांडे शामिल हुईं. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के मैनेजिंग एडिटर अतुल चौरसिया ने किया.चर्चा के प्रमुख विषय समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर अतुल कहते हैं कि ऐसे विवाहों को कानूनी मान्यता देने का यह ऐतिहासिक मौका था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने से मना कर दिया. कानून बनाने की जिम्मेदारी विधायिका पर छोड़ते हुए शीर्ष अदालत ने स्वयं को इससे अलग कर लिया. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट क्या कर सकता था और उसने ऐसा क्यों नहीं किया? इसके जवाब में संध्या कहती हैं, “निश्चित तौर पर यह एक ऐतिहासिक मौका था. हमें लगता था कि शीर्ष अदालत समलैंगिक समुदाय के लोगों को बच्चा गोद लेने का अधिकार देगा लेकिन ऐसा करना तो दूर उसने शादी की भी कानूनी इजाजत नहीं दी. उसने मामला विधायिका पर टाल दिया. कोर्ट चाहता तो इसकी व्याख्या स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत कर सकता था. लेकिन पता नहीं उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया.”  संध्या आगे कहती हैं, “सबसे बड़ा दोहरापन यह है कि हम समलैंगिकों को अपनी संस्कृति का हिस्सा नहीं मानते हैं. जबकि अपना इतिहास देखते हैं तो सबकुछ स्पष्ट हो जाता है. खजुराहो की मूर्तियां देख लें. इसी तरह से कोणार्क में देखा जा सकता है. हमारी संस्कृति में यह पहले से ही रहा है. यह पश्चिमी देशों से हमारे यहां नहीं आया है. पश्चिम के लोग खासतौर से रानी विक्टोरिया, समलैंगिकता को अनैतिक मानती थीं और इसे प्रतिबंधित कर दिया था. इंग्लैंड में समलैंगिक संबंधों की वजह से जोड़ों को जेल में बंद कर दिया जाता था. बाद में यही विचार भारत आया. मैं महाराष्ट्र से हूं इसलिए आपसे कहूंगी कि कोई भी पुरानी मराठी फिल्म देख लीजिए उसमें कम से कम एक ऐसा पात्र मिल जाएगा जो समलैंगिक होगा. इससे किसी को कोई दिक्कत भी नहीं थी क्योंकि यह हमारी संस्कृति में स्वीकार्य था.” इसके जवाब में आनंद वर्धन कहते हैं, “मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला ऐसा नहीं है जो लोगों को दो खेमों में बंटने के लिए उत्तेजित करे. मुझे ऐसा ही फैसला आने की उम्मीद थी और यह फैसला तर्कसंगत लगता है. विवाह के अन्य कानून संसद ने बनाए हैं. सिर्फ स्पेशल मैरिज एक्ट में इसको शामिल करने से समाधान नहीं हो जाएगा. कोर्ट ने इस तरह के कानून बनाने का अधिकार संसद को ही दिया है. समलैंगिकों को उम्मीद थी कि अनुच्छेद-21 में इसे संवैधानिक अधिकार मिले लेकिन शीर्ष कोर्ट ने कहा कि विवाह पर कानून बनाना विधायिका का मामला है. लेकिन मुझे उम्मीद है कि समलैंगिकों के अधिकारों के लिए कानून बनाए जाएंगे. मैं इसके बारे में उतना निराशावादी नहीं हूं.” समलैंगिकों की विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग समेत तमाम मुद्दों पर सुनिए पूरी चर्चा. टाइम्स कोड्स00ः00-03:58 - इंट्रो और ज़रूरी सूचना04:00-16:07 - निठारी हत्याकांड के दोषियों की रिहाई16:07-19:30 - सुर्खियां19:30-54:12 - समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला54:13 - 01:06:55 - इज़रायल-हमास संघर्ष 01:06:55 -  सलाह और सुझाव
  • एनएल चर्चा 288: इज़रायल हमास का खूनी संघर्ष और पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव

    01:24:34
    इस हफ्ते चर्चा के प्रमुख विषय इजरायल और फिलिस्तीन संघर्ष, पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की घोषणा और सुप्रीम कोर्ट ने 26 सप्ताह की गर्भावस्था को खत्म करने की मांग पर कहा कि हम किसी बच्चे को नहीं मार सकते आदि रहे. हफ्ते की अन्य सुर्खियों में प्रवर्तन निदेशालय ने वीवो कंपनी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक चीनी नागरिक समेत चार लोगों को किया गिरफ्तार, बसपा सांसद दानिश अली पर विवादित टिप्पणी मामले में संसद की विशेषाधिकार समिति में के समक्ष पेश नहीं हुए भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी, इजरायल ने कहा कि हमास जब तक बंधकों की रिहा नहीं करेगा तब तक गाजा को बिजली और पानी की आपूर्ति नहीं करेंगे और आनंद विहार से कामाख्या जा रही नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस के बिहार में बेपटरी हो जाने से चार लोगों की मौत आदि शामिल रहे. हफ्ते की अन्य ख़बरों में मणिपुर के राज्यपाल ने नागरिकों से कहा कि धार्मिक स्थलों और विस्थापितों की संपत्ति को नुकसान न पहुंचाएं, दिल्ली हाईकोर्ट ने आईआईटी दिल्ली के फेस्ट में कपड़े बदलते हुए छात्राओं की वीडियो बनाने वाले मामले में स्वतःसंज्ञान लिया, पांच राज्यों में 7 से 30 नवंबर तक होगा मतदान एवं 3 दिसंबर होगी मतगणना और बीते दिनों अफगानिस्तान में 6.3 तीव्रता के भूकंप में 24,00 से ज्यादा लोगों की मौत आदि ख़बरें शामिल रहीं. इसके अलावा पठानकोट हमले के मास्टरमाइंड शाहिद लतीफ की पाकिस्तान में हत्या, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के खिलाफ छह राज्यों में राष्ट्रीय जांच एजेंसी की छापेमारी, ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत-बांग्लादेश से भी पीछे भारत और इलेक्टोरल बॉन्ड को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 31 अक्टूबर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आदि ख़बरें भी हफ्तेभर तक चर्चा का विषय रहीं.  इस हफ्ते चर्चा में बतौर मेहमान अंतरराष्ट्रीय मामलों की जानकार स्मिता और आंचल बोहरा शामिल हुईं. इसके अलावा न्यूज़लॉन्ड्री टीम से अवधेश कुमार ने चर्चा में हिस्सा लिया. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया. चर्चा के प्रमुख विषय इजरायल-हमास युद्ध पर बात करते हुए अतुल कहते हैं, “सबसे पहले मैं जानना चाहता हूं कि इजरायल की सुरक्षा में सबसे बड़ी चूक कहां हो गई? माना जाता है कि इजरायल की तकनीकी जासूसी बहुत विकसित है. वो हर घटना पर नज़र रखने का दावा करते हैं. हमास ने जितनी संख्या में रॉकेट और बड़े-बड़े हथियारों का इस्तेमाल किया है, इसने इजरायल की छवि को तार-तार कर दिया है. क्या कोई रास्ता निकाल लिया गया है? क्या हमास इतना विकसित हो गया है कि वो इजरायली सुरक्षा को चुनौती दे पा रहा है?”इसके जवाब में आंचल कहती हैं, “यह तो बहुत बड़ा सवाल है कि इजरायल से क्या गलती हुई और उनके पास कौन-सी तकनीक थी जिसको उन लोगों ने नज़रअंदाज किया. यह इंटेलिजेंस की असफलता तो है ही लेकिन अगर किसी ने आप पर इतना बड़ा हमला करने का मन बना लिया है तो उसे कोई भी इंटेलिजेंस एजेंसी नहीं रोक सकती. दूसरा सवाल है कि क्या इजरायल की इंटेलिजेंस के बेहतरीन होने की सिर्फ कहानियां हैं या इसमें वास्तविकता भी है.” इसी मामले पर स्मिता कहती हैं, “जिस इजरायल को हम पेगासस, खुफिया एजेंसी, खुफिया सॉफ्टवेयर के लिए जानते हैं जो बाहर से आने वाली मिसाइलों को रास्ते में ही उड़ा देता है. उस पर इतना बड़ा हमला कैसे हो गया है यह जानने के लिए कई जांच कमेटियां बनानी पड़ेंगी. इतना तो साफ हो गया है कि इजरायल तकनीकी तौर पर उतना काबिल नहीं है जितना दुनिया मानती है.”स्मिता आगे कहती हैं, “भले ही बेंजामिन नेतन्याहू ने कुछ पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाई है लेकिन अब उनकी चुनौतियां खत्म होने वाली नहीं हैं. भले ही इस लड़ाई के लिए लगभग तमाम पश्चिमी देश उनके साथ खड़े हैं लेकिन देश के लोग चाह रहे हैं कि बेंजामिन हमास के खिलाफ कठोर कार्रवाई करें. लोगों ने उनसे सवाल पूछना भी शुरू कर दिये हैं.” टाइम्स कोड्स00ः00 - 03:39 - इंट्रो और ज़रूरी सूचना03:40 - 17:10 - सुर्खियां17:12 - 29:09 - पांच राज्यों में चुनाव 29:10 - 37:55 - सब्सक्राइबर्स के मेल 37:56 - 01:20:30 - फिलिस्तीन-इजरायल संघर्ष 01:20:30 -  सलाह और सुझाव